देहरादून: दोस्तों करीबन 1 महीना होने को चला लेकिन अभी तक कोई क्लेरिटी नहीं है कि Dream 11 और जो ऑनलाइन गेमिंग एप्स है वो अनबैन होंगे कि नहीं होंगे। फैसला कोर्ट में गया। कोर्ट से फिर सुप्रीम कोर्ट में गया और सुप्रीम कोर्ट से अभी तक कोई अपडेट आया नहीं है कि जो अगली सुनवाई होगी सुप्रीम कोर्ट में वो कब होगी। लेकिन हां उससे पहले जो विष्णु वैष्णव है उनकी तरफ से एक अपडेट आया है कि 1 अक्टूबर से यह जो कानून बना है, कानून बना है, लागू नहीं हुआ है। यह जो कानून बना है, इसको हम इंप्लीमेंट करेंगे 1 अक्टूबर को। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि 1 अक्टूबर से पहले यानी कि इसको इंप्लीमेंट करने से पहले हम जो कंपनीज है यानी ऑनलाइन गेमिंग एप्स वाली जो कंपनीज है जो बैंक्स है जो इनके स्टेक होल्डर्स हैं उन सबके साथ मीटिंग करेंगे। ये मीटिंग परसों हो सकती है या फिर दो-ती दिन बाद हो
सकती है। 1 अक्टूबर से पहले होगी। अब देखो इस मीटिंग का रिजल्ट निकलेगा क्या? इस मीटिंग में बातें क्या होगी? क्या डिस्कशन होगा और रिजल्ट क्या होगा? क्या ड्रीम 11 अनबैन होने के चांसेस रहेंगे?
सबसे पहले मैं आपको अगर एक चीज बताऊं जो इस कानून को जब बनाया गया तो राज्यसभा और लोकसभा में क्या चीजें बोली गई विष्णु वैष्णव की साइड से? क्यों ये कानून बनने जा रहा है? इससे यूथ बर्बाद हो रहा है। हो रहा है। इससे जो फैमिली की सेविंग्स है वो खत्म हो रही है। इससे बच्चों के मानसिक संतुलन खराब हो रहे हैं। ये चीजें बोल के इसको इस जो ये कानून है ये बना था। इसको इंप्लीमेंट नहीं किया गया है। देखो भाई अब जो इन्होंने बोला विष्णु वैष्णव ने कि पिछले तीन साल से ये कंपनीज के कंपनीज़ के साथ इंगेज थे। इनके बीच डिस्कशन चल रहा था और डिस्कशन किस चीज को लेके चल रहा था? 40% जीएसटी। अब भी अगर ये लोग 40% जीएसटी पे मान गए तो आप ड्रीम 11 खेल सकते हो। पैड कॉन्टेस्ट भी खेल सकते हो। आप यूथ के तो 40% जीएसटी के साथ अगर ड्रीम 11 चालू होता है तो क्या इससे यूथ का विकास होगा? ये चीज मुझे देखो समझ में आई नहीं है जो डबल स्टैंडर्ड है ये मैं अब तक समझ में समझ पाया नहीं हूं। अगर आपको ऐसा कुछ भी लग रहा है कि हमारे भविष्य के लिए या हमें हमारे बारे में सोचते हुए यह कानून बना है तो भाई साहब आप इस दुनिया के सबसे सी वाले इंसान हो क्योंकि सामने से बोला गया है। बाकी देखो इस मीटिंग में होगा क्या? देखिए इस मीटिंग में सबसे बड़ी चीज यही होगी कि 40% जीएसटी लगेगा। 40% जीएसटी लगेगा। अगर आप 40% जीएसटी के साथ
चल सकते हो। अपने आप को सर्वाइव कर सकते हो तो खिलाइए और खेलिए। अगर 40% के साथ नहीं करते हो तो कानून एक तारीख से इंप्लीमेंट हो जाएगा 1 अक्टूबर से। हालांकि ऑफिशियल 1 अक्टूबर नहीं है। यह केवल बोला गया है। आगे भी जा सकता है क्योंकि विष्णु वैष्णव ने यह भी बोला है कि अगर इस मीटिंग के बाद कंपनीज़ कुछ टाइम लेना चाहती है सोच विचार करने के लिए या फिर उनको कुछ एक्सपेरिमेंट्स करने हैं तो वो ले सकती है। हम उनको टाइम देंगे। ये विष्णु वैष्णव ने बोला। लेकिन ये बात हो गई 40% जीएसटी की। अब 40% जीएसटी जिसके बारे में पहले डिस्कशन चल रहा है। जहां पे कंपनीज़ इस चीज को मानने के लिए राजी नहीं हुई क्योंकि वो सर्वाइव नहीं कर सकते। तो इसीलिए ड्रीम 11 हाई कोर्ट नहीं गया ना सुप्रीम कोर्ट नहीं गया क्योंकि उनको पता था अब तो 40% जीएसटी लागू भी हो चुका है। यानी कि आपको ऑनलाइन गेमिंग में है वो 40% जीएसटी देना ही पड़ेगा। तो सर्वाइव कैसे करेंगे? तो सर्वाइव नहीं कर सकते हैं 40% जीएसटी के साथ। दूसरी चीज ये भी बहुत चल रहा है कि जो ये कानून बना है इसमें स्किल गेम्स है जो कि आप खेल सकते हो उनको बैन नहीं किया जाएगा। ड्रीम 11 स्किल गेम है तो आपको लग रहा होगा आप खेल सकते हो। नहीं भाई देखो उन्होंने बैन किया है जो गेमिंग एप्स है जहां पे पैसा लगता है। उन्होंने स्किल गेम्स का उसमें कुछ भी नहीं है। आप खेलिए स्किल गेम्स लेकिन पैसा नहीं लगना चाहिए। आप पैसा डिपॉजिट करोगे। तो आपके लिए वो रिस्की हो जाएगा और वो डिपॉजिट होगा भी नहीं क्योंकि बैंक्स को भी इसके लिए अवेयर कर दिया जा चुका है। तो ये चीज है कि आप वो नहीं खेल पाएंगे। फिर चाहे वो स्किल वाला गेम हो फिर चाहे वो बिना स्किल वाला गेम हो जहां पे पैसे का लेनदेन होगा वो आप नहीं खेल सकते हो।

अब देखो अगर मैं आपको एक सिंपल सी चीज बताऊं ना सिंपल सी चीज ये है कि जो 28% जीएसटी पहले ड्रीम 11 दे रहा था या फिर जो ये कंपनियां दे रही थी वो अपनी साइड से दे रही थी क्योंकि जीएसटी देना होता है हमको कंपनी हमसे वो पैसा वसूल करती है लेकिन जब 28% जीएसटी लागू किया गया तो कंपनीज़ को लगा कि यूज़र्स खेलने बंद होंगे। अगर आपको ₹100 देने 100 की जगह 128 देने पड़ेंगे तो जाहिर सी बात है फिर यूज़र्स है वो नहीं खेल पाएंगे। तो कंपनीज़ ने अपनी साइड से वो पैसा देना शुरू कर दिया। अब एक चीज ये हो सकती है कि कंपनीज़ 40% पे मान जाए और 28% अपनी जेब से भरे और जो 12% है वो यूज़र्स की साइड से ले। बस एक यही चीज है जो फेंटसी को बचा सकता है। उसके अलावा अगर आपके पास कैपेबिलिटी है कि आप 40% के साथ सर्वाइव कर सकते हो तो आप खिलाइए खेलिए। आप पे कोई पाबंदी नहीं है। वैसे भी ये गैंबलिंग तो चल ही रहा है। अरे धड़ाम से चल रहा है। Instagram खोलो वहां पे कोई बैटिंग ऐप का प्रमोशन चल रहा है। Facebook खोलो वहां पे बैटिंग ऐप का प्रमोशन चल रहा है। ये कानून किस पे लागू हुआ है? जहां पे ₹49 में लोग बर्बाद हो रहे थे वहां पे लागू हुआ है और जहां पे पैसा हवाले से उड़ रहा है वहां पे कोई बैन नहीं है। तो बस यही एक चीज है। बाकी होप आशा करते हैं कि जो विष्ण वैष्णव है जब कंपनीज़ साथ में बैठेगी जब स्टेक होल्डर्स बैठेंगे तो कहीं ना कहीं बीच में जाके मामला अगर सिमट जाए अगर 28% पे यार 28% पे मानना होता तो ये नियम ही क्यों लेके आते वो 28% पे मुझे नहीं लग रहा मानने वाले हैं और 40% पे कंपनियां सर्वाइव नहीं करेगी तो जय जय राम जी की मुझे नहीं लग रहा कुछ होगा होगा तो वैसा हो सकता है 28% कंपनियां पे करें, 12% यूज़र्स पे करें। उसके अलावा मुझे कोई रास्ता दिख नहीं रहा। अभी कि फेंटसी वापस आएगा। बाकी कोई भी अपडेट्स
आती है मैं कोशिश करूंगा जो इंपॉर्टेंट अपडेट्स रहती है। ऐसे तो पूरा दिन चलता ही रहता है। देखते हैं सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई कब होती है। वहां से कुछ नियम आते हैं। नियम आएंगे। अगर वो अनबैन भी करते हैं तो भाई होगा क्या? 40% वही है। वो तो अब ये भी मान जाएंगे तो उसका कोई मतलब है नहीं। तो यह था कुछ जो अपडेट्स आई थी मैंने आपको बता दिया है|